मन की बात और दिमाग की बात

 मन की बात और दिमाग की बात :- जानिए कया  फर्क है। 

लेखक:- अनीश कतरीआ

हमारी ज़िन्दगी मे ऐसी कई चीज़े होती हैं,जो हम करना तो चाहते ह मगर क्र नहीं पाते क्या आप ने कभी सोचा है  की इस के पीछे कार्ड़ क्या है ? हमारे इंसानी शरीर में सिर्फ २ चीज़े हैं :-
१. मन 
२. दिमाग 
हमारे मन और दिमाग में सिर्फ एक अंतर् है कि जो हमारा दिमाग है  वो सिर्फ वो चीज़ सोचता है जो उस के लिए सही है । दिमाग का काम है कि वह शरीर को आदेश दे, आगे हमारे मन का काम शुरू होता है।  मानसिक तोर पर देखा जाए तो मन नाम का कोई भी अंग हमारे शरीर में नहीं है। मन सिर्फ एक भावना है जो हमारे दिमाग में है। 
आज के कलयुग में हमारा दिमाग हमारे मन से हार गया है। आज एक ऐसा पेहर चल रहा है जहाँ हम अपने दीमंग को न सुन कर अपने मन को सुनते है जब हमारा मन होता है तो हम काम करते है और जब नहीं होता तो हम उस काम को नहीं करते। 
इस समस्या का सिर्फ एक ही समादान है कि हम अपने मन को भयवित करना सीखे। अगर आप  का मन बुरा है तो वह  हर काम में एक ऐसी संभावना ढूंढे गा कि वह उस काम को कैसे टाले और उस काम में जो मेहनत है उस से कैसे बचे। तो यह हमरे दिमाग का काम है की वह उसे उस काम को ना करने के ना करने के परिणाम  क्या हो सकते है। अब प्रश्न यह उठता है की अब ऐसा कैसे करा जाये।
इस तरीके को अपनी जिंदगी में उतराने का सिर्फ एक ही तरीका है कि हमे अपने मन को भयेवीत कर उसे सही चीज़ दिखानी है और उसे बताना है  कि " तुम्हे यह काम करना है और अगर नहीं करो गै तो ऐसा हो गा  "   बस आप के इतना कहने से वह शांत हो जाये गा। 
और अगर आप अपनी जिंदगी में कुछ बदलाव लाना चाहते ह तो आप यह करिये और आप को बदलाव नजर आने लगे गा। 
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